कलामुद्दीन अंसारी
प्रस्तुत निबंध "आधुनिक युग में पहनावे का इतिहास" के लेखक 'कलामुद्दीन अंसारी' है, जो एक छात्र है। कलामुद्दीन अंसारी, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के ग्राम असिलाभार के निवासी है।

प्रस्तुत निबंध “आधुनिक युग में पहनावे का इतिहास” के लेखक ‘कलामुद्दीन अंसारी’ है, जो एक छात्र है। कलामुद्दीन अंसारी, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के ग्राम असिलाभार के निवासी है।

क्या आप जानते हैं,कि हमारे कपड़ों के पहनने का भी एक प्राचीन इतिहास है । प्रत्येक समाज में विभिन्न वर्गों की महिला, पुरुष एवं बच्चों के पहनने का तरीका कुछ न कुछ अलग तरीके का होता है। जिसे हर जगह नहीं लेकिन कहीं ना कहीं इसे सख्ती से पालन भी किया जाता है। देख-रेख की वजह से इन पहनावे का  विश्वभर में उनकी एक अलग पहचान बनी रहती है तथा इससे वे परिभाषित भी होते हैं ।

पहनावे का इतिहास

प्राचीन युग की बात करें तो अधिकांश लोग क्षेत्रीय वेशभूषा पहनते थे, जिनका रंग – रूप, किस्म एवं कीमतों का निर्धारण, उस क्षेत्र में उपलब्ध कपड़ों से होता था तथा उस क्षेत्र के वेशभूषा के अनुसार अपने पहनावे को नियंत्रण रखना पड़ता था तथा स्थानीय समाज में लोगों का सामाजिक स्तर उनके पहनावे का वेशभूषा से निश्चित होता था। और इससे यह भी पहचान होती थी, कि वे किस वर्ग के है,  पुरुष है या फिर स्त्री। समय के परिवर्तन के साथ 1600 ई. के बाद भारत ने यूरोपीयों के साथ व्यापार करके वहाँ से सस्ते एवं अच्छे  वस्त्र उपलब्ध कर लिए तथा इसके साथ-साथ 19वीं सदी में औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप ब्रिटेन ने सूती कपड़ों का थोक उत्पादन करने लगा। भारत सहित कई देशों में अपना निर्यात का प्रारंभ कर दिया था। ब्रिटेन के निर्यात से यूरोप में भी अधिकांश वर्गों के लिए सूती वस्त्र आसानी से उपलब्ध होने लगे थे, फिर बीसवीं सदी के शुरुआत में ही कृत्रिम रेशों के बने कपड़े और सस्ते हो गए, जिसे आसानी से गरीब वर्ग के लोग भी पहनते थे।  महिला वर्ग में यह कपड़े ज्यादा भारी भरकम एवं उलझे लगते थे। इन्ही कारणों से 1870 ई० के दशक तक इन वस्त्रों का धीरे-धीरे समापन होने लगा था तथा कपड़े हल्के,छोटे  व पतले होते चले गए।

आधुनिक पहनावे

माना समय के परिवर्तन के साथ, विचार और कपड़ों के पहनावे का भी परिवर्तन होना निश्चित है, किंतू आधुनिक युग के इस दौर में पहनावा एक शर्मसार फैशन का रूप धारण करता जा रहा है, जिसे आसानी से देखा जा सकता है। आज के इस युग में कपड़ों को शरीर के मुताबिक छोटा और फिटिंग करके इसे फैशन का दर्जा दिया जा रहा है, फैशन के इस चक्कर में इन्ही कपड़ों को पहनकर लोग अपने आप को अच्छा महसूस करते हैं। फैशन जताने के साथ-साथ छोटे एवं फिटिंग कपड़ो के शौकीन होते जा रहें हैं, जो हमारे शरीर के लिए काफी ज्यादा नुकसानदेह साबित होता है। फिटिंग कपड़ों को पहनने से शरीर में अनेक परेशानियां होती हैं इसलिए फैशन को अनदेखा करके छोटे एवं फिटिंग कपड़ों का इस्तेमाल कम कर देना चाहिए, जो हमारे जीवन के लिए बेहतर होगा।

भारत प्रहरी

भारत प्रहरी एक पत्रिका है,जिसपर समाचार,खेल,मनोरंजन,शिक्षा एवम रोजगार,अध्यात्म,...

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