- फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है।
- इस वर्ष 9 मार्च को रखा जाएगा विजया एकादशी का व्रत।
- भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत काल के समय कुन्ती पुत्र अर्जुन और युधिष्ठिर को इस व्रत के महात्म्य का वर्णन किया था।
एकादशी का व्रत सभी व्रतों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है,और जैसा कि हम जानते है कि यह तिथि प्रत्येक मास में दो बार आती है और महीने की एकादशी का अलग – अलग नाम और अलग अलग महात्म्य है। उसी तरह फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष विजया एकादशी का व्रत 9 मार्च को रखा जाएगा। ऐसी मान्यता है,की महाभारत काल के दौरान स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने इस व्रत के माहात्म्य के बारे में कुन्ती पुत्र अर्जुन और युधिष्ठिर को बताया था और उन्होंने विधि – विधान से इस व्रत का पालन किया था।
विजया एकादशी का माहात्म्य
विजया एकादशी का व्रत विजय प्राप्ति हेतु रखा जाता है। यह व्रत शत्रुओं से मुक्ति पाने हेतु भी रखा जाता है। इस व्रत को विधिपूर्वक रखने से शत्रुओं से भयमुक्त हो जाते है। जीवन में यदि तमाम तरह की परेशानियां है तो यह व्रत को रखना अत्यंत फलदाई माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री राम ने भी लंका विजय से पहले इस व्रत को धारण किया था।
विजया एकादशी व्रत मुहूर्त एवम पारण
विजया एकादशी तिथि प्रारम्भ – 8 मार्च को दोपहर 03 बजकर 44 मिनट से
विजया एकादशी व्रत तिथि – दिनांक 9 मार्च 2021
विजया एकादशी तिथि समाप्ति – 9 मार्च दोपहर 3 बजकर 02 मिनट पर
विजया एकादशी पारण मुहूर्त – दिनांक 10 मार्च को सुबह 06 बजकर 36 मिनट से प्रातः 8 बजकर 58 मिनट तक
विजया एकादशी व्रत की पूजन विधि
- विजया एकादशी के व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर,स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके विजया एकादशी के व्रत का संकल्प करें।
- विजया एकादशी के दिन यदि संभव हो,तो घर के पूजा स्थल पर एक मिट्टी की वेदी बना लें।
- वेदी पर 7 धान – जौ,गेहूं,चना,बाजरा,उड़द, मूंग,चावल आदि रख दे।
- मिट्टी से बनी वेदी पर भगवान विष्णु की मूर्ति अथवा चित्र रख दे।
- भगवान विष्णु को पीला पुष्प अर्पित करें।
- भगवान विष्णु के स्त्रोत का पाठ करें
- इस दिन सात्विक विचार ही मन में लाएं।
- काम, क्रोध,लोभ,ईर्ष्या जैसी भावना मन में कदापि ना आने दें।
- रात्रि के समय भगवान विष्णु का ध्यान करे और उनका भजन कीर्तन करना भी अत्यंत फलदाई माना जाता है।