हरतालिका तीज व्रत सुहागिनों के लिए रखा जाने वाला एक व्रत है। यह व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष के तृतीय तिथि को मनाई जाती है।इस बार यह तिथि 09 सितंबर 2021 को पड़ रही है। इस बार तकरीबन 14 सालों के बाद हरतालिका तीज व्रत के दिन रवियोग बन रहा है जो इस व्रत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। जिसमें माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना करके पत्नियां अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं यह व्रत 24 घंटे बिना अन्न जल ग्रहण किए निर्जला रखा जाता है ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इस दिन कुंवारी कन्या इच्छित वर पाने के लिए व्रत रखती है।हालांकि कई जगहों पर कुंवारी कन्याओं को व्रत रखने के लिए मना किया जाता है।
हरतालिका तीज व्रत में पूजन सामग्री
भगवान शिव और माता पार्वती के मूर्ति पूजन के लिए एक लकड़ी के पाटे की आवश्यकता होती है,उस लकड़ी के पाटे के उपर लाल और पीले रंग के वस्त्र की आवश्यकता होती हैं। लकड़ी के पाटे पर एक प्लेट रखकर उस पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति रखी जाती है। हरतालिका तीज व्रत में आम के पत्ते,घी,केले,पूजा के लिए नारियल,जल से भरा कलश,दिया,अगरबत्ती,धूप और दीप,पान के पत्ते और सुपर तथा दक्षिणा,भगवान शिव के लिए बेलपत्र ,धतूरे,माता के लिए चुनरी, चंदन और जनेऊ,माता पार्वती के लिए श्रृंगार पेटिका अवश्य रखनी चाहिए तथापि गौर बनाने के लिए मिट्टी और पंचामृत रखनी चाहिए।
हरतालिका तीज व्रत के पूजन का शुभ मुहूर्त
जैसा की उपर बताया गया है,की इस बार हरतालिका तीज पर रवियोग बन रहा है। आपको बता दे यह रवियोग इस बार 14 वर्ष बाद बन रहा है। यह योग चित्रा नक्षत्र के कारण बन रहा है, जो 9 सितंबर दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से अगले दिवस 10 सितंबर को 12 बजकर 57 मिनट तक रहेगा. हरतालिका तीज के दिन पूजन के लिए अत्यंत शुभ समय शाम 5 बजकर 16 मिनट से शाम को 6 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. पूजन के लिए शुभ समय 6 बजकर 45 मिनट से 8 बजकर 12 मिनट तक का है. हरतालिका व्रत की पूजा के समय रवियोग रहेगा.जो अत्यंत लाभकारी होगा।
हरतालिका तीज व्रत पालन करने के लिए कुछ विधान
हरतालिका तीज व्रत यदि कोई सुहागिन एक बार उठती है तो वह उसे बिना उद्यापन किए छोड़ नहीं सकती है। यदि किसी कारणवश यह व्रत छूट जाता है,तो वह पुनः दोबारा इस व्रत को नहीं रख सकती है।
इस व्रत के नियम की अलग – अलग जगहों पर अलग – अलग हो सकते है।