16 सितंबर को मनाया जाएगा विश्वकर्मा पूजन,जाने क्या है शुभ मुहूर्त और पूजन विधि,विश्वकर्मा पूजा स्वर्ग निर्माता देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा के जयंती के रूप में मनाया जाता है। देव शिल्पी विश्वकर्मा की जयंती कन्या संक्रांति के दिन मनाया जाता है इस बार यह 16 सितंबर को मनाया जाएगा।
देव शिल्पी विश्वकर्मा को उनके प्रतिभा के कारण उन्हें केवल मानव ही नहीं अपितु देवता भी उन्हें पूजते है। किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य के पहले देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा का पूजन करना अति शुभ होता है। भगवान विश्वकर्मा के पूजन के दिन लोग अपने काम आने वाले औजारों,अपने अस्त्र – शस्त्र,मशीन,गाड़ियों आदी का पूजन करते है। इस कई कारखानों और कंपनियों में भी भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है।
भगवान विश्वकर्मा का महात्म्य
ऐसा माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा की प्रेरणा से देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा ने समग्र ब्रह्माण्ड की रचना की थी। यह भी कथन कहा जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही भगवान शिव के लिए त्रिशूल और जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु के लिए उन्होंने सुदर्शन चक्र बनाया था । विश्वकर्मा की इस रचना को भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों ही ने अपने कुण्डलिनी शक्ति का प्रत्यक्षीकरण करके अपना प्रमुख अस्त्र बनाया। भगवान विश्वकर्मा ने है आदिकाल में स्वर्ग का निर्माण अपने शिल्पकला के प्रतिभा पर किया था। जिसके बाद से उन्हें स्वर्ग निर्माता के नाम से भी जाना जाता है। देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा ने देवराज इन्द्र के वज्र का भी निर्माण के साथ साथ ब्रह्मदेव की प्रेरणा यमराज का कालदंड भी बनाया था। पृथ्वी पर भगवान विश्वकर्मा ने कई प्राचीन नगरो का निर्माण किया था इसमें रावण की लंका नगरी,भगवान श्री कृष्ण की द्वारिका तथा दैत्य शिल्पी मै दानव के साथ पांडवो का इंद्रप्रस्थ,कुबेर का पुष्पक विमान जिसे रावण द्वारा कुबेर से छीन लिया था। आज के समय में भी मान्यता है कि किसी निर्माण कार्य के प्रारम्भ से पहले यदि कोई भगवान विश्वकर्मा की पूजा में से करे तो सारे कार्य बाधारहित होते है। यदि कोई निर्माण कार्य अधूरा है तो भगवान विश्वकर्मा की कृपा से पूर्ण हो जाता है।
भगवान विश्वकर्मा की पूजन विधि और मुहूर्त
विश्वकर्मा पूजन कन्या संक्रांति के दिन रहता है।कल 16 सितंबर को 6 बजकर 53 मिनट पर कन्या संक्रांति का समय है। इस दिन विश्वकर्मा पूजन का सबसे शुभ दिन होता है। विश्वकर्मा पूजन कंशुभ मुहूर्त 16 सितंबर सुबह 10 बजकर 9 मिनट से 11 बजकर 37 मिनट तक है। क्योंकि इस दिन राहुकाल दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से 1 बजकर 53 मिनट तक है और इस समय कोई सुबह पूजा नहीं हो सकता है। शुभ मुहूर्त में भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा के साथ भगवान विष्णु की प्रतिमा को रखकर दोनों की स्तुति करनी चाहिए तथा आरती करके उनका पूजन करना चाहिए।