आर्थिक विकास क्या है? इस निबंध के लेखक कलामुद्दीन अंसारी(KALAMUDDIN ANSARI) है। कलामुद्दीन अंसारी(KALAMUDDIN ANSARI) एक छात्र है,जो गोरखपुर जिले के असिलाभार(ASILABHAR) नामक गांव के रहने वाले है।
आर्थिक विकास का अर्थ- देश, क्षेत्र या मनुष्यों की आर्थिक समृद्धि के बढ़ते हुए क्रम को आर्थिक विकास कहते हैं। किसी भी देश या क्षेत्र का विकास जैसे- आर्थिक समानता ,सुरक्षा एवं स्वतंत्रता आदि पर निर्भर करता है। वर्तमान युग में सबसे महत्वपूर्ण समस्या आर्थिक विकास की समस्या है। कुछ समस्या के कारण आज के समय में आर्थिक विकास की जो विकास है कहीं न कहीं अपने रास्तों से विचलित हो गई है तथा प्रत्येक जगह के लोगों के विकास के लक्ष्य जो है, वह अलग-अलग तरीके से हो सकते है।
राष्ट्रीय विकास- हमारे देश के विकास मे जो व्यक्तियों के उद्देश्य अलग-अलग होते हैं तथा राष्ट्रीय विकास में उन लक्ष्यों को प्रकाशित किया जाता है जो बड़े से बड़े पैमाने पर लोगों का लाभ पहुंचा सके राष्ट्रीय विकास के लिए शिक्षा को भी प्रसारितकिया जाता है। शिक्षा के माध्यम से राष्ट्रीय विकास की विवादों और इनकी उपायों के बारे में सोचने के लिए महत्वपूर्ण एक संघ बैठा दी जाती है ,जो राष्ट्रीय विकास के लिए अनेक हल सोचते हैं । जो राष्ट्रीय विकास में अधिक से अधिक वृद्धि होता है। विकास का तात्पर्य केवल आज के युग को खुशहाल बनाना ही नहीं बल्कि हमारे द्वारा बढ़ने वाली पीढ़ी के लिए एक बेहतर भविष्य बनना भी है,इसलिए राष्ट्रीय विकास कुछ इस प्रकार है, जो आने वाले कई वर्षों तक सतत चलता रहे यह तभी संभव है । जब हम राष्ट्रीय विकास को बढ़ाने के मामले में जागरुक हो जाएं तथा संसाधन का विवेकपूर्ण उपयोग करते हैं
विकास को बढ़ाने के लिए वैसे तो पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधनों का भंडार बहुत अधिक मात्रा में है लेकिन हम उन्हें आर्थिक रूप से लालच में आकर अधिक से अधिक उपयोग करते हैं, तो ये जो हमारी दुनिया एक बहुत बड़ी बर्बाद भूमि बन जाएगी।