प्रस्तुत निबंध प्रदुषण और उसका कहर की रचना कलामुद्दीन अंसारी(Kalamuddin Ansari) ने की है, जो एक छात्र है। कलामुद्दीन अंसारी(Kalamuddin Ansari) उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के उरुवा बाजार क्षेत्र के ग्राम सभा असिलाभार के रहने वाले है।
प्रदुषण – जल प्रदूषण- नदियों, समुद्रों तथा तालाब जैसे जलाशयों में एवं उद्योग और शहरों की अन्य गंदी से गंदी नालियों के दूषित (खराब) जल के मिलाने से होता है एवं उद्योग धंधों से निकलने वाली खतरनाक रसायनिक पदार्थ जल को अधिक मात्रा में दूषित कर देती हैं। जिससे जल काफी ज्यादा प्रदूषित हो जाता है, खुले स्थान में जो जल का स्रोत है उससे पशु एवं पक्षी पानी पीते हैं,जिससे उन्हें भी बीमारियों का सामना करना पड़ता है । प्रदूषित होने के कारण जल से अनेक बीमारियां पैदा होती हैं , जीव जंतु के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हैं।
वायु प्रदूषण- उद्योग धंधों की चिमनियों से निकलने वाले खतरनाक जहरीले धूएं तथा सड़कों पर चलने वाले वाहनों द्वारा निकलने वाले धुएं के कारण वायु प्रदूषण अधिक मात्रा में फैलता है, एवं आज के इस दौर में आधुनिक मशीनों द्वारा वनो की अधिक मात्रा में कटाई भी वायु प्रदूषण को बढ़ाने में सहायता कर रही है। आज के युग में वायु प्रदूषण इतना बढ़ गया है, कि हम सही से सांस तक नहीं ले पाते हैै।
ध्वनि प्रदूषण- सार्वजनिक जगहों पर तेज से बजने वाले टेपरिकॉर्डर, साउंड आदि की आवाजें तथा वाहनों के द्वारा निकलने वाले तेज ध्वनि और हमारे परिवार के द्वारा शोरगुल के कारण ध्वनि प्रदूषण होता है, ध्वनि प्रदूषण के कारण हमें कम सुनाई देने लगता है जिससे बहरेपन की समस्या उत्पन्न होती है।
प्रदूषण का कहर- आज के इस दौर में प्रदूषण एक भयानक रूप ले लिया है, चारों ही चारों तरफ का प्रदूषण से माहौल खराब है। अगर कोई भी व्यक्ति बीमार होता है, तो वह प्रदूषण के कारण ही होता है जिसके उस व्यक्ति को बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
प्रदूषण को नियंत्रण करने का उपाय- प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए हमें विस्तृत रूप से उपाय कर लेना चाहिए, जिससे हमारे आने वाले पीढ़ी को इस खतरों का सामना करना ना पड़े। इसके लिए हमें खुद से खुद जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित कर लेना चाहिए तथा उद्योग धंधों के कचड़े को नदियों व तालाबों में बहने या फेंकने पर रोक लगा लेना चाहिए, और वृक्षारोपण पर अधिक से अधिक से अधिक मात्रा में कराना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले कारखाने उद्योग, धंधे, वाहन आदि पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। इसके अलावा प्रदूषण के कहर को रोकने के लिए हमें जनसंख्या को स्थिर बनाए रखने की जरूरत है, क्योंकि जनसंख्या में जितना वृद्धि होगी स्वाभाविक रूप से जीवन में अत्यधिक प्राकृतिक संसाधनों की आवश्यकता पड़ेगी, और आवश्यकता को पूरा करने के लिए उद्योगों की स्थापना करनी पड़ेगी और उद्योग कहीं न कहीं प्रदूषण का कारण बनते ही हैं। इस ज्ञान को ध्यान में रखते हुए अगर प्रदूषण मनुष्यों के द्वारा फैलता है तो मनुष्यों के द्वारा प्रदूषण को कम भी किया जा सकता है।