Site icon भारत प्रहरी

युवाओं की मूलभूत समस्या क्या है?

युवाओं की मूलभूत समस्या रोजगार

युवाओं की मूलभूत समस्या रोजगार

युवाओं की मूलभूत समस्या रोजगार,युवा कहूं या देश की वह शक्ति जिसने जो देश के लिए ठाना वह पाया है। आज जब हम युवा की बात करते है तो उनकी प्रमुख उद्देश्य रोजगार की उपलब्धता को समझते है।

आयुष राज

इस लेख के लेख बिहार के आरा जिले के छात्र आयुष राज है।

सरकार हमेशा से ही युवाओं कि मूलभूत आवश्यकता पर उदासीन रही है। सरकार रोजगार देने का वायदा तो करती है परन्तु उस पर अमल करने में ना जाने उसे कैसी समस्या होती है।

आज जब युवा सकती अपनी आवाज बुलंद कर रही है तो सरकारों को सोचना चाहिए कि क्या कारण है कि जो युवा मोदीजी को सत्ता में लाने के लिए बहुत मदद की वह आज कई प्लेटफॉर्म पर अपनी आवाज बुलंद कर मांग कर रहा है कि सरकार आप हमारी मांगो को सुने।

आज जब हम देखते है कि दिनों दिन रोजगार की उपलब्धता कम होते जा रही है पर कोई उस देश के भविष्य के विषय पर बोल नहीं रहा तो सवाल तो उठेंगे ही। क्या कारण है कि सरकारी नौकरी में भर्तियां तो निकलती है परन्तु परीक्षा और इंटरव्यू तक पूरा होने में वर्षों बीत जाते है।

आखिर क्यों अपनी मांगो को लेकर युवा सरकार के पास न जाकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे है क्या सत्ता पक्ष आवाज नहीं सुन रही ? क्या विपक्ष युवा सोच को आगे नहीं ला रही? इसका जवाब होगा शायद हा , जिस देश में युवाओं की बात न सुनी जाए वहां विश्व गुरु बनने का सपना शायद सपना ही न रह जाएं।

हम कैसी शिक्षा प्रणाली को अपना रहे है जहा लोगो के पास डिग्री तो है पर रोजगार नहीं। आर्थिक नीतियों के बल पर हम उम्मीद तो कर सकते है विश्व गुरु बनने का परन्तु रोजगार की संभावनाएं को बंद करके विश्व गुरु बन नहीं सकते। आखिर क्यों छात्रों कि अनदेखी आए दिन होती जा रही क्या सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग भूल गए कि जब छात्रों कि अनदेखी होती है तो सत्ताएं बदल जाती है याद करे जब देश की ओजस्वी प्रधानमंत्री इंदिरा जी ने जनता से जुड़े लोगों की अनदेखी की तो सत्ता परिवर्तन हो गया।

आज सारे छात्र मांग कर रहे की क्यों नहीं हम रोजगार के मुद्दे पे अपने सरकार से बात नहीं करते । बात करना अपना मुद्दा से सरकार को सरोकार करवाना हर लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहने वाले व्यक्ति की नैतिक जिममेदारी बनती है। हम सवाल सरकार से करेंगे चाहे किसी की सरकार हो हमने चुना है सवाल करना हमारी जिम्मेदारी है तब तब हम अपने मुद्दों पर चर्चा भी कर पाएंगे और लोकतंत्र को मजबूती का काम भी करेंगे।
Exit mobile version