Chillupar Assembly 2022: चिल्लूपार विधानसभा का नाम आते ही सबके दिमाग में उत्तर प्रदेश के बाहुबली हरिशंकर तिवारी का नाम घूमने लगता है,पंडित हरिशंकर तिवारी इसी विधानसभा। से 22 वर्षों तक विधायक रहे। हरिशंकर तिवारी उत्तर प्रदेश के मंत्री भी रहे। आपको बता दे की इस विधानसभा से 2007 और 2012 में राजेश त्रिपाठी बसपा की सीट से जीतकर आए थे। साल 2017 में बाहुबली हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी बसपा से जीतकर विधायक बने। चिल्लूपार विधानसभा गोरखपुर जिले में पड़ता है और वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी गोरखपुर के ही रहने वाले है।
अब बात आती है साल 2022 के विधानसभा चुनाव की,इस बार चिल्लूपार की जनता किस पर मेहरबान है। 2007 और 2012 में बसपा से चुनाव जीतने वाले राजेश त्रिपाठी 2017 विधानसभा चुनाव के कुछ महीने पहले ही बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने राजेश त्रिपाठी को टिकट दिया। वहीं पंडित हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी बसपा के टिकट से चुनावी मैदान में उतरे। 2017 में कांग्रेस और सपा गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में रामभुआल निषाद ने भी किस्मत आजमाया था। 2017 में चिल्लूपार विधानसभा में मुख्य लड़ाई भाजपा और बसपा में हुई,जिसमे बसपा के प्रत्याशी विनय शंकर तिवारी ने राजेश त्रिपाठी को 3500 वोटों से पराजित करके विधायक की कुर्सी हासिल किया। वहीं सपा और कांग्रेस के गठबंधन के प्रत्याशी रामभुआल निषाद तीसरे स्थान पर रहे।
इस बार चिल्लूपार का सियासी समीकरण थोड़ा बदला हुआ है,चिल्लूपार के मौजूदा विधायक विनय शंकर तिवारी बसपा से सपा में शामिल हो चुके है और भाजपा ने राजेश त्रिपाठी को फिर से चुनाव के मैदान में उतारा है। वहीं बसपा ने राजेंद्र सिंह उर्फ पहलवान सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है।
इस बार के चुनाव में विनय शंकर तिवारी को ब्राह्मणों के साथ – साथ यादवों का भी साथ मिलने का अनुमान है,जबकि राजेश त्रिपाठी भी एक ब्राह्मण चेहरा है ऐसे में राजेश त्रिपाठी सपा प्रत्याशी को चुनौती दे सकते है,किंतु इस क्षेत्र में 1985 से ही ब्राह्मण केवल हरिशंकर तिवारी के नाम पर वोट करते है। दोनो नेताओं के पास दलित वोटरों का समर्थन है। ऐसे में लड़ाई बेहद दिलचस्प होने वाली है। दूसरी तरफ लोग बसपा प्रत्याशी राजेंद्र सिंह उर्फ पहलवान सिंह को लड़ाई से बाहर मान रहे है लेकिन कुछ लोगों का कहना है राजेंद्र सिंह इन दोनो प्रत्याशियों का नुकसान जरूर कर सकते है।
विनय शंकर तिवारी पिछले पांच वर्षों से विधायक है और लोगो का कहना है,की विनय शंकर तिवारी पिछले वर्षों में क्षेत्र के लोगो से लगातार जनसंपर्क करते रहे और उनकी जरूरतों को पूरा भी किया है। ऐसे में चिल्लूपार की लड़ाई बेहद दिलचस्प है। चिल्लूपार से भाजपा के कई क्षेत्रीय नेता इसी विधानसभा से दावेदारी की पेशकश कर रहे थे परंतु पार्टी ने आखिरकार टिकट राजेश त्रिपाठी को दे दिया। जिसके कारण ऐसा माना जा रहा है,की भाजपा में आंतरिक विद्रोह हो सकता है। जिससे सपा प्रत्याशी मजबूत माने जा रहे है।
लड़ाई दिलचस्प है,लेकिन हमारी पड़ताल मे सपा प्रत्याशी विनय शंकर तिवारी आगे निकलते हुए नजर आ रहे है। हालांकि समीकरण बनते बिगड़ते रहते है,लेकिन अभी का समीकरण चिल्लूपार विधानसभा से समाजवादी पार्टी को भारी बता रहा है।