‘आत्मनिर्भरता से राष्ट्र का सामर्थ्य’ आलेख के लेखक पुनीत त्रिपाठी है,जो भारत प्रहरी के को – फाउंडर है।
एक दिन एक युवक एक महापुरुष के पास गया। जिनके बारे में उसने सुना था कि वे एक बड़े संत हैं और लोक कल्याण का काम करते हैं। तो युवक के मन में विचार आया की उनके पास चलते हैं। युवक उनसे उनके आश्रम में सेवा का कोई काम मांगने लगा । महापुरुष के पूछने पर उस युवक ने बताया कि वह बेकार है, अतः उनके ‘ आश्रम ‘ में रहकर सेवा कार्य करेगा तथा उसकी जीविका भी चलती रहेगी।
महापुरूष ने ने कहा -” वत्स मैं तो तुम्हें काम नहीं मार्ग बता सकता हूं । तुम अपने को बेकार क्यों समझते हो? तुम्हें अटूट शक्ति भरी है ,तुम आत्मविश्वास के साथ कोई भी परिश्रम – साध्य काम करो तो तुम्हारी जीविका का निर्वाह होने लगेगा “। यह कह कर महापुरुष ने उसे ₹10 दिए ।
उस युवक ने इस रुपए से सूत खरीदा और जनेऊ बनाकर प्रतिदिन उन्हें बेचने लगा । प्रारंभ में तो उसे कम ही आय होती थी। पर धीरे-धीरे उसके यहां बने जनेऊ की मांग इतनी बढ़ गई कि उसे एक सहायक रखना पड़ा।एक दिन वे महापुरुष स्वयं जनेऊ खरीदने निकले तो उन्हें देखकर आश्चर्य हुआ जनेऊ बेचने वाला तो वही युवक है । युवक संत के चरणों में गिर गया और कहने लगा – ” महात्मा , आप मुझे उस दिन कुछ नौकरी ना देकर आपने मेरा आत्मविश्वास जागृत कर दिया और जो मार्गदर्शन दिया उसी से मैं इस आत्मनिर्भरता की इस स्थिति तक पहुंच सका । वह युवक कोई साधारण व्यक्ति नहीं रहा बल्कि वह आत्मनिर्भरता के मंत्र को साधते हुए उसने राष्ट्र के सामर्थ्य बढ़ाने के लिए विशेष योगदान दिए ।
वह युवक अन्य कोई नहीं महापुरुष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( आरएसएस ) के संस्थापक डॉ केशवराव हेडगेवार थे ।
जिन की संकल्पना थी राष्ट्र का सामर्थ्य उसकी आत्मनिर्भरता में है । हेडगेवार ने आत्मनिर्भरता के मंत्र का उपयोग करते हुए राष्ट्रहित को अपना जीवन खपा दिया ।
इसीलिए कहा जाता है कि हर व्यक्ति को आत्मनिर्भर होने का प्रयत्न करना चाहिए जिससे राष्ट्र का सामर्थ्य बढ़ता रहे…