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यूपी पंचायत चुनाव के आरक्षण प्रणाली पर हाई कोर्ट का फैसला,वर्ष 2015 को आधार मानकर बनाई जाए नई आरक्षण सूची

पंचायत चुनाव

यूपी पंचायत चुनाव के आरक्षण सूची पर आज 15 मार्च को हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने समाजसेवी अजय कुमार द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर फैसला सुना दिया है। हाई कोर्ट की बेंच ने यह फैसला राज्य सरकार के विरुद्ध सुनाते हुए कहा कि,उत्तर प्रदेश के आगामी पंचायत चुनाव में आरक्षण सूची जारी करने में वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानना गलत है। इस लिए अब पुनः 27 मार्च तक वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए,संशोधित आरक्षण सूची का प्रकाशन किया जाए। आपको बता दें कि इस फैसले के पश्चात जो प्रत्याशी आरक्षण सूची जारी होने के बाद अपने घरों में मायूस होकर बैठ गए थे,वह पुनः अब क्षेत्र में लौटकर अपना प्रचार करने में लग गए है। ऐसा कहा जा रहा है,की ज्यादातर अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवार ही आरक्षण सूची जारी होने के बाद चुनाव लडने से वंचित हो गए थे। आपको बता दें कि 12 मार्च को ही हाई कोर्ट ने जनहित याचिका दाखिल होने के बाद अंतिम सूची जारी होने पर रोक लगा दी थी।

क्या कहा गया था? अजय कुमार द्वारा दाखिल जनहित याचिका में

उत्तर प्रदेश के आगामी पंचायत सूची के लिए जारी आरक्षण सूची के विरुद्ध अजय कुमार द्वारा दाखिल की गई जनहित याचिका में 11 फरवरी 2021 को जारी उत्तर प्रदेश द्वारा शासनादेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। अजय कुमार द्वारा दाखिल जनहित याचिका में कहा गया की,पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू किये जाने वाले नियमावली के नियम – 4 के तहत ही पंचायत चुनाव के पदों क्रमशः ग्राम पंचायत प्रधान,क्षेत्र पंचायत सदस्य,जिला पंचायत सदस्य के पदों का आरक्षण लागू किया जाता है। आरक्षण लागू होने के सम्बन्ध में कहा गया है की सन 1995 को आधार मानते हुए,क्रमशः सन 2000,2005 एवं 2010 के चुनाव में आरक्षण लागू किया गया और चुनाव संपन्न कराए गए,किन्तु वर्ष 2015 के चुनाव से पूर्व ही 16 सितम्बर 2015 को उत्तर प्रदेश शासन द्वारा शासनादेश जारी किया गया,और नई आरक्षण प्रणाली लागू की गई। अजय कुमार द्वारा दाखिल जनहित याचिका में कहा गया की,सन 2015 को ही मूल वर्ष मानते हुए,आरक्षण व्यवस्र्था अपनाई जाए।

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