बिहार के लोकप्रिय गायक मृत्युंजय मिश्रा जी कहते है,की “समस्याएं तो सबके साथ आती है,किंतू समस्याओं से हमे हारना नहीं चाहिए बल्कि उसका डटकर सामना करना चाहिए। हम समस्यायों को हराकर ही सफलता हासिल कर सकते है।” आइए पढ़ते है इनसे बातचीत के संपादित अंश
कौन है मृत्युंजय मिश्रा?
मृत्युंजय मिश्रा एक गायक है,जिनकी उम्र 29 वर्ष है। इनके पिता रविकांत मिश्रा एक लघु उद्यमी है। मृत्युंजय मिश्रा बिहार के बक्सर जिले के रहने वाले है। मृत्युंजय ने बहुत सारे भोजपुरी एल्बम किए है एवम कुछ फिल्मों के गानों में भी उन्होंने अपनी आवाज़ दी है। मृत्युंजय मिश्रा अपने आपको एक प्रतिष्ठित भोजपुरी गायक के रूप में प्रतिस्थापित करना चाहते है।
आपने गायन को कैरियर के रूप में क्यों चुना?
मैं बचपन में स्कूल के कार्यक्रमों में प्रतिभाग किया करता था। उसके बाद मुझे वहां पर अपने शिक्षकों से गायन के प्रति प्रेरणा मिलने लगी। कुछ समय बाद मैं जिला स्तर पर होने वाली गायन प्रतियोगिताओं में भाग लेने लगा और मुझे जिला स्तर के पदाधिकारियों से भी प्रेरणा मिलने लगी। उसके बाद मेरे अंदर भी एक जुनून आ गया कि अबुझे एक गायक ही बनना है। मैंने इस बारे में अपने परिवार को बताया,परन्तु शुरुआत में कोई भी इस प्रस्ताव को मानने के लिए तैयार नहीं था पर मेरे अंदर अब गायक बनने का जज्बा जाग चुका था। इस तरह से मैंने अपने कैरियर के लिए गायकी को चुना।
आप आगे कहां काम करना चाहते है?
हम अभी अपनी मातृभाषा भोजपुरी में ही काम करना चाहते है और भोजपुरी गाना ही गाना चाहते है। क्योंकि हमारे यहां के पुराने लोगों का कहना की को अपने घर में नाम नहीं कमा पाता है,वह कहीं और नाम नहीं कमा सकता। इसलिए पहले मैं अपने घर में नाम कमाना चाहता हूं फिर में कहीं और जनं चाहूंगा। इसलिए अभी मैं बस भोजपुरी गानों के लिए ही अपनी आवाज़ देना चाहता हूं।
आपने अब तक आपने कैरियर के पीछे कैसी समस्याओं का सामना किया है? उन्हें आप कैसे दूर भगा पाए?
जी मुझे बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा है,इस सफर के बीच क्योंकि मेरे पूरे परिवार में कोई भी गायकी नहीं किया है। मैं इस प्रोफेशन में अकेला ही था इसलिए मुझे कोई गाइड करने वाला नहीं था। मैं बस यही कहना चाहूंगा सबसे की ऐसी समस्या मेरे ही नहीं बल्कि इस प्रोफेशन में आने वाले सभी व्यक्तियों के साथ आती है,लेकिन आपको इन समस्यायों से हराना नहीं बल्कि उनका डटकर सामना करना है और उन्हें दूर भगाना है। ऐसे में मुझे बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
इन सभी समस्यायों को में अपने परिवार, मित्र, बंधुओ एवम माता जगदम्बे की कृपा से दूर कर पाया।
COVID-19 महामारी का आपके कैरियर पर क्या असर पड़ा?
इस महामारी का हमारे कैरियर पर बहुत भारी असर पड़ा। यूं कहे कि यह महामारी किसी बुरे सपने से भी बदतर है। इस महामारी के दौरान मुझे ही नहीं अपितु मेरे जैसे तमाम कलाकारों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। सरकार ने हर विषय,हार प्रकार के लोगों के बारे में सोचा किंतू हमारे जैसे तमाम कलाकारों के विषय में कुछ नहीं सोचा। लॉकडाउन खुलने के बाद धीरे – धीरे सभी प्रकार के कारोबार शुरू हो गए है,किंतू कलाकारों के कार्यक्रम होने अभी तक शुरू नहीं हुए है। हम सभी 9 महीने से खाली बैठे है हमारे पास कोई काम नहीं है,तो ऐसे में हम सभी अपने परिवार का पोषण किस प्रकार कर रहे है? इस परिस्थिति के बारे में हम ही जानते है। मैं सरकार से कहना चाहता हूं,की जिस प्रकार हार वर्ग के लोगों के लिए इस महामारी में आर्थिक राहत पहुंचाई गई। वैसे ही हम जैसे कलाकारों के लिए भी कोई आर्थिक पैकेज बनाना चाहिए।
आपके काम के पीछे आपकी पत्नी की कैसी भूमिका रही है?
मेरी पत्नी की बहुत सहायता रही है मेरे काम के पीछे। उसने मुझे बहुत सपोर्ट किया है। कभी भी मुझे उससे किसी प्रकार का आलोचना मेरे काम को लेकर नहीं रहा है। वह हमेशा से कहती है,की आप बस अपने गायन को लक्ष्य बनाइए। अपने काम के प्रति ईमानदार रहिए।
आपका रोल मॉडल कौन है?
मेरा रोल मॉडल मेरे बड़े भैया मेरे गुरु अशोक मिश्रा जी है। इनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है। इसके अतिरिक्त मेरे पसंदीदा गायक विष्णु जी,गोपाल राय जी,रविन्द्र जी है। मै इन सब का अनुसरण करके अपने गायकी को और बेहतर करने की कोशिश करता हूं।