धर्मवीर सरोज जी से बातचीत के अंश,अन्तर्राष्ट्रीय ढोलक वादक धर्मवीर सरोज जी कहते है कि “जब तक आप अपने काम के प्रति ईमानदार नहीं होंगे तब तक आप सफल नहीं हो सकते” आइए पढ़ते है,उनसे बातचीत के अंश
कौन है धर्मवीर सरोज
धर्मवीर सरोज एक अंतरराष्ट्रीय ढोलक वादक है,जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के चिक्सारी गांव में हुआ था। धर्मवीर सरोज के पिता का नाम गोपीनाथ सरोज है। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा – दीक्षा मिर्जापुर और वाराणसी से हुई। इनकी शैक्षिक योग्यता एम ए एलएलबी है। इन्होंने तबला से बिसारद सन 1998 में प्राप्त किया। धर्मवीर जी 2005 में मुंबई आए। दीपा मालिक जी से उन्हें मुंबई में श्री रवींद्र जैन जी का सानिध्य मिला। इन्होंने श्री रवीन्द्र जैन जी के साथ उनके कई कार्यक्रमों में ढोलक बजाए। रविन्द्र जैन की ही बदौलत सन 2008 में इन्हे दूरदर्शन के किसी शो में ढोलक बजाने का मौका मिला। धर्मवीर सरोज ने उसके बाद कई शो जैसे सुर संग्राम,हंसी का तड़का,इंडिया रॉ स्टार जैसे कुछ बड़े शो में ढोलक बजाने के साथ – साथ कई भोजपुरी फिल्मों और हिंदी फिल्मों एवम टीवी सीरियल में ढोलक बजाए। इसके अतिरिक्त प्रदीप पंडित के साथ इन्होंने विदेशों में भी कई शोज किए। धर्मवीर सरोज ने 13 बार थाईलैंड,3 बार फिजी उसके अतिरिक्त भी इन्होंने कई देशों में ढोलक बजाए है। वर्ष 2020 में इन्होंने ने एक फिल्म में अभिनेता के रूप में भी काम किया है जिसका नाम पिस्टल पांडेय है।
आपने ढोलक वादन को कैरियर क्यों चुना?
मेरी संगीत के पीछे एक लगन हमेशा से रही। मैं बचपन से ही पढ़ाई के साथ – साथ संगीत में भी रुचि रखता था। संगीत को सुनना और उसे समझना मेरी फितरत में थी या फिर यूं कहे कि संगीत के बिना मैं जी नहीं सकता,संगीत का मुझे बचपन से ही नशा रहा है। इसलिए मैं संगीत में जाना चाहता था। संगीत में मैं कुछ अच्छा काम करना चाहता था। इस लिए भी मैंने संगीत को चुना।
आप आगे कहां काम करना चाहते है?
आगे के लिए मैं बस यही कहूंगा कि मैं आगे संगीत में ही काम करूंगा। मैं खुद की अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहता हूं। इसके लिए अभी मुझे बहुत मेहनत करना है और बहुत रियाज़ की भी ज़रूरत है। बस आगे की मेरी यही एक मात्र ख्वाहिश है।
COVID – 19 महामारी का आपके कैरियर पर क्या असर पड़ा?
मेरे कैरियर पर COVID-19 महामारी का बहुत बुरा असर पड़ा,क्योंकि सरकार ने सबके बारे में सोचा किंतू कलाकारों के लिए कुछ नहीं सोचा। बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया। इसलिए इस महामारी में मेरे ही नहीं अपितु सभी कलाकारों के जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। क्योंकि कलाकारों का काम यही कह सकते है कि रोज कुआं खोदना और फिर पानी पीना
आप अपने रोल मॉडल के बारे में बताना चाहेंगे।
जी मेरे रोल मॉडल हमारे संगीत इंडस्ट्रीज के एक प्रतिष्ठित तबला वादक श्रीधराचारी जी है। वह हमेशा से मेरे आदर्श रहे है। मुझे उनके अंदर काम के प्रति ईमानदारी है वह सबसे प्रिय है और हमेशा से इसी चीज को फॉलो किया करता हूं। वह एक बड़े गुणी कलाकार है,उनकी जितनी तारीफ किया जाए,उतनी ही कम है मेरे पास उनकी तारीफ करने के लिए शब्द नहीं है। वह एक मेरे ऐसे गुरु है ऐसे आदर्श है,जो मुझे रिदम के गुण सिखाने के साथ – साथ मुझे काम भी दिलाते है और पेमेंट भी करवाते है। ऐसा गुरु और आदर्श मिलना नसीब की बात होती है।
आपके काम के पीछे आपके परिवार का कैसा सपोर्ट रहा है?
मेरे काम के पीछे मेरे सबसे बड़े सहायक के रूप में भूमिका मेरे पिता श्री गोपीनाथ सरोज की रही। वह मेरे पहले गुरु भी रहे है। बचपन में मैं डब्बों को ढोलक की तरह बजाया करता था। जिसे देखकर बाद में मेरे पिता ने मुझे छोटी सी ढोलक दिलाया और उसी ढोलक से मुझे शुरुआती शिक्षा मिली। इस लिए मैं यही कहना चाहूंगा कि मेरे काम के पीछे मेरे पिता का बहुत बड़ा सहयोग रहा।आज जो भी मैं हूं उन्ही के वजह से हूं। बाकी मेरे पूरे परिवार ने भी मेरी सहायता ही की है।
आपके पसंदीदा तबला वादक कौन है?
मेरे पसंदीदा तबला वादक श्रीधराचारी जी, शशिकांत शर्मा जी,गिरीश विश्वा जी यह सब मेरे पसंदीदा तबला वादक रहे है। मैं इन सबका अनुसरण करता रहा हूं।