हरयाणवी सॉन्ग ‘ करले कदर मां बाप का ‘ से प्रसिद्ध हुए भोजपुरी कलाकार मनोज कुमार प्रजापति का कहना है कि – ” जब हमे अपने प्रतिभा और कला पर भरोसा होता है,तो हम अपने रास्ते में आने वाली सभी समस्याओं को दूर कर सकते है “पढ़िए अभिनेता मनोज कुमार प्रजापति और भारत प्रहरी के साथ साक्षात्कार के संपादित अंश
कौन है मनोज कुमार प्रजापति ?
मनोज कुमार प्रजापति एक भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के एक अत्यंत गरीब परिवार में हुआ था। मनोज कुमार के पिता एक मजदूर किसान है। मनोज कुमार प्रजापति को सब मनोज कुमार के नाम से बुलाते है। मनोज कुमार प्रजापति ने अब तक हरयाणवी,पंजाबी,भोजपुरी और हिंदी आदी एल्बम सोंग में काम करने के अतिरिक्त कई शॉर्ट फिल्म और एक भोजपुरी फिल्म में भी काम किया है। मनोज कुमार हरयाणवी सॉन्ग ‘ करलें कदर मां बाप का ‘ से अपनी बड़ी तादाद में लोकप्रियता हासिल किया है। मनोज कुमार एक बड़े भोजपुरी अभिनेता के रूप में अपने – आप को भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में प्रतिस्थापित होना चाहते है।
अब तक आपका अपने काम के प्रति कैसा अनुभव रहा है?
मैंने अब तक कई शॉर्ट फिल्म और बहुत सारे एल्बम में काम किया है। जो हरयाणवी,पंजाबी,हिंदी और भोजपुरी भाषा में थे। इन सबमें मुझे सबसे अच्छा अनुभव हरयाणवी सॉन्ग ‘ करले कदर मां बाप का ‘ का अनुभव लगा। इस एल्बम सॉन्ग के जरिए आज के बच्चों का मां – बाप के प्रति बिगड़ते रिश्तों का बेहतरीन ढंग से चित्रण किया गया है। यह गाना यूट्यूब पर उपलब्ध है। यदि फिल्मों को लेकर मेरे अनुभव की बात करे तो मेरा सबसे बढ़िया अनुभव फिल्म गोलमोल को लेकर रहा है जिसमें मैंने एक लड़के और एक लड़की दोनों का किरदार निभाया है। इस फिल्म में मुझे दोहरे किरदार का चित्रण करके बहुत अच्छा अनुभव प्राप्त हुआ। यह मेरे लिए पहला मौका था जब मैंने एक लड़का और एक लड़की को दोहरी भूमिका निभाई। इस लिए मेरे लिए इस फिल्म का एक्सपीरियंस सबसे अच्छा रहा है।
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आपने अपने कैरियर के लिए अभिनय को ही क्यों चुना ?
जब स्कूल में पढ़ाई करता था,तब वहां पर होने वाले सभी कार्यक्रमों में होने वाले नाटकों में मैं प्रतिभाग किया करता था। मुझे स्कूल के दिनों में ही अभिनय करना बहुत अच्छा लगने लगा और मुझे अपने स्कूल से भी अभिनय के प्रति बहुत अच्छी प्रेरणा मिली वहां पर मेरे साथ पढ़ने वाले बच्चों एवं मेरे स्कूल के शिक्षकों ने मेरे काम को बहुत सराहा और वहीं से मैंने एक अभिनेता बनने का मन बना लिया। इस तरह से मेरे अभिनय की कैरियर की शुरुआत हुई और मैंने अपने कैरियर के लिए अभिनय को चुना।
आप भविष्य में फिल्मों में काम करेंगे या फिर टीवी सीरियल में काम करने का इरादा है।
मैं बस भोजपुरी फिल्मों में काम करना चाहता हूं क्योंकि बॉलीवुड फिल्मों में नए और छोटी जगहों से आए कलाकारों के साथ शोषण किया जाता है। वहां पर एक छोटा सा शब्द जिसे समझौता कहते है। इसका प्रचलन अधिक है। समझौता शब्द वैसे तो बहुत छोटा है लेकिन इस शब्द के साथ तालमेल बिठा पाना बहुत कठिन कार्य होता है। बॉलीवुड फिल्मों में काम करने के लिए लड़कियों को किसी और चीज के साथ समझौता करना पड़ता है तो वहीं लड़की को पैसों के साथ समझौता करना पड़ता है। मैं एक गरीब किसान मजदूर का बेटा हू जो दिहाड़ी मजदूरी पर काम करते है। ऐसे में मेरे पास इतना पैसा नहीं है कि मै दो – चार करोड़ रुपए देकर हिंदी फिल्मों में काम करूं। जबकि भोजपुरी फिल्मों की बात करें तो यहां पर ऐसा बिल्कुल नहीं है। यहां पर काम के नाम पर कलाकारों के साथ शोषण नहीं किया जाता। इसलिए मै आगे भोजपुरी फिल्मों में काम करना चाहता हूं।
अब तक आपको अपने काम के लिए किस – किस प्रकार की समस्याएं झेलनी पड़ी?
अब तक बहुत सारी समस्याओं का सामना मुझे करना पड़ा है। सबसे बड़ा दुख तब होता है जब कोई प्रोड्यूसर हमे अपनी फिल्म के किसी रोल के लिए चुनता है और फिर कुछ दोनों बाद वह हमे मना कर देता है कि नहीं आप अभी इस रोल के लिए परफेक्ट नहीं है। मेरे साथ और भी कई परेशानियां काम को लेकर आई लेकिन में आभार प्रकट करना चाहूंगा।जिन्होंने मुझे समझा मेरी कला और प्रतिभा को समझा, मेरे काम की सरहराना की ऐसे दो चार लोग है जिनका मैं अपने अंतर्मन से उन्हें धन्यवाद देता हूं। उन्हीं में से एक बॉलीवुड कि निर्देशक प्रोड्यूसर नीलाम आर सिंह जिन्होंने ने मेरी प्रतिभा को समझा और मुझे अपनी अगली फिल्म में काम देने का वादा भी किया। मेरी उन से बात भी हुई और मैं जल्द ही उनके फिल्म में काम करने वाला हूं। दूसरी रजनिका गांगुली मुखर्जी जी जो मुंबई से है। जो एक अभिनेत्री होने के साथ – साथ एक बहुत अच्छी कलाकार भी है। वह एक प्रोड्यूसर भी है, मैं उनकी जितनी भी तारीफ करूं वह बिल्कुल कम है। उन्होंने मुझे अपनी फिल्म में काम देने का वादा किया और मैं उनकी फिल्म में काम भी कर रहा हुं। मैं सबसे ज्यादा मानता हू,समिम खान को जो कन्नौज के रहने वाले है। उन्होंने भोजपुरी फिल्म मुक्कदर फिल्म खेसारी लाल जी के साथ की थी तथा मुक्कादर का सिकंदर फिल्म निरहुआ ही के साथ की थी। उनकी अगली फिल्म जो 15 अक्टूबर को रिलीज होने वाली है। उसमे मैं उनके साथ नजर आऊंगा।
आपने – अपने काम के बीच आने वाली समस्याओं को कैसे दूर भगाया?
देखिए कुछ तो सुनने की आदत पड़ जाती है। जब हम किसी कास्टिंग डायरेक्टर के पास अपना प्रोटफोलियो लेकर जाते है,तो हमे कई बार रिजेक्शन सुनना पड़ता है,तो कभी कुछ और लेकिन हमें अपने – आप पर भरोसा रखना चाहिए। यदि हमें अपनी प्रतिभा और कला पर विश्वास है,तो हम अपने काम के रास्ते में आने वाली सभी समस्याओं को दूर भगा सकते है और मैंने अपने कला व प्रतिभा के विश्वास के करें है अपने काम के बीच आने वाली सभी समस्याओं को दूर भगाया।
आपके कैरियर पर COVID-19 का क्या प्रभाव पड़ा?
मेरे कैरियर पर COVID-19 का बहुत असर पड़ा,कई फिल्में थीं जिनकी शूटिंग इस महामारी के कारण रुक गई। उनकी शूटिंग को ताल दिया गया। मेरे साथ इस महामारी और लॉकडाउन में पारिवारिक समस्याएं भी अाई। क्योंकि सरकार ने सबके बारे में सोचा किंतू कलाकारों के बारे में कुछ नहीं सोचा। बड़े कलाकारों के लिए तो इन दिनों किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं रही होगी। उनके पास बैंक बैलेंस है। वह सालो बैठकर खा सकते है लेकिन हम डेली वर्क करते है। हम छोटे कलाकार है और हमारे पास उतना बैंक बैलेंस नहीं था। इसलिए बहुत सारी परेशानियां अाई। इस महामारी काल और इस लॉकडाउन में जिनका सामना मुझे करना पड़ा था।
आपका रोल मॉडल कौन है?
मैं अपना रोल मॉडल बड़े भैया खेसारी लाल यादव जी को मानता हूं। क्योंकि वह भी एक गरीब परिवार के है। उन्होंने शून्य से शिखर तक का सफर तय किया है। मैं उन्हीं से सीखता हूं कि जीवन में कुछ भी हो सकता है। कभी भी हमे हार नहीं मानना चाहिए। बाकी मैं यही कहना चाहूंगा कि मेहनत का फल मीठा होता है।
आप के कैरियर में परिवार के अतिरिक्त आपके मित्रो की कैसी भूमिका रही है?
कुछ लोग मेरे जीवन में है,जो मेरे परिवार के ना होने के बाद भी मेरी सहायता करते रहे है। वो लोग मुझे समझते है। मेरे काम को समझते है। उनमें से एक है राइमा डेनिएल जो लखनऊ से है,वह एक मॉडल होने के साथ – साथ न्यूज रिपोर्टर भी है। उन्हीं के संपर्क के कारण आज मैं आपके सामने बैठा हूं। उनका मेरे जीवन में बहुत ज्यादा महत्व है। इसके अतिरिक्त मेरे छोटे भाई टुनटुन निषाद जो बिहार से है। वह भी हमे बहुत अच्छे तरह से समझते है। टुनटुन निषाद कई फिल्मों में नजर आ चुके है। समीम भैया का नाम भी इन्हीं में से एक है जो हमेशा जरूरत पड़ने पर मेरी सहायता करते रहते है।
आपके काम के पीछे परिवार की क्या भूमिका रही?
आपके किसी भी काम के पीछे परिवार बहुत महत्वपूर्ण है। मैं आपको बताना चाहूंगा कि मेरे परिवार में मुझे सपोर्ट करने वाले सिर्फ मेरे माता – पिता है। मुझे केवल अपने मां – बाप ने मेरी सहायता कि,मुझे मेरे किसी भी रिश्तेदार या फिर बड़े भाइयों की कोई सहायता नहीं मिली। यदि यह सब मेरे सहायक होते तो शायद मैं आज किसी और मुकाम पर होता,इसलिए यदि परिवार के सभी सदस्य आपके सहायक नहीं होते तो कुछ न कुछ समस्याएं आती जरूर है।
Very Good info…… Sir