लोगों के बीच प्रसिद्ध हो रहे अभिनेता विशाल तिवारी के साथ खास बातचीत, फिल्म ‘ बारात कंपनी ‘ से अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत करने वाले विशाल तिवारी कहते है,की ” जब हमारा लक्ष्य निर्धारित होता है,तो हम किसी भी मुकाम तक अपने परिश्रम के बलबूते बेहद आसानी से पहुंच सकते है।” आइए पढ़ते है उनसे बातचीत के संपादित अंश
कौन है विशाल तिवारी?
विशाल तिवारी एक अभिनेता एवम निर्देशक है तथा यह अल्पकालिक लेखक भी है, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में हुआ था। इनके पिता का देहांत इनके बाल्यकाल में ही हो गया था। तब विशाल कक्षा 6 में पढ़ाई कर रहे थे। विशाल तिवारी की प्रारम्भिक शिक्षा देवरिया जिले में ही हुई। इन्होंने 12वीं तक कि पढ़ाई स्थानीय विद्यालयों में ही कि उसके बाद यह स्नातक की पढ़ाई करने गोरखपुर आए जहां इन्हे गोरखपुर के प्रसिद्ध रंगमंचीय संस्थान अभियान ग्रुप ऑफ़ थियेटर के संस्थापक अध्यक्ष श्रीनारायण पांडेय जी का सानिध्य प्राप्त हुआ। जिसके बाद से विशाल की ज़िंदगी ही बदल गई। विशाल इस तरह से कला के क्षेत्र में आ गए और उन्हें श्री नारायण जी से कला के क्षेत्र में कुछ कर गुजरने को प्रेरणा भी प्राप्त हुई। विशाल तिवारी ने स्नातक करने के बाद लख़नऊ के भारतेन्दु नाट्य अकादेमी से नाट्य कला में डिप्लोमा प्राप्त किया। इन्हें वर्ष 2016 में ही एसआरएफटी कॉलेज कोलकाता से फिल्म अप्रिसिएशन में सर्टिफिकेशन भी प्राप्त हुआ। उसके बाद विशाल तिवारी ने बॉलीवुड फिल्म बारात कंपनी से फिल्मी सफर की शुरुआत किया। उसके बाद इन्होंने अनटिल डैथ में भी काम किया और अभी इनकी दो आने वाली फिल्में है जिनका नाम लूडो और मचान है। इसके अतिरिक्त विशाल तिवारी ने कई धारावाहिकों,शॉर्ट फिल्मों एवम एड फिल्म में काम किया है। विशाल तिवारी एक बड़े बॉलीवुड अभिनेता के तौर पर प्रतिस्थापित होना चाहते है।
आपने अभिनय को ही अपने कैरियर के लिए क्यों चुना?
मैं एक बहुत गरीब परिवार से संबंधित हूं। मेरे पिता नहीं थे और मेरी माता आंगनवाड़ी में थी, माता जी ने हमे पढ़ाया – लिखाया। मैं ईमानदारी से कहूं तो मैं एक डॉक्टर बनना चाहता था,किंतू पैसे की किल्लत होने के नाते मैं उसके बारे में सोच नहीं सकता था,फिर मैंने स्नातक की पढ़ाई करने के लिए बीकॉम में एडमिशन ले लिया। मैं इसे बिना मन के पढ़ रहा था तत्पश्चात मैंने अभिनय के बारे में सुना,फिर मैंने तय किया कि यह पेशा बहुत ही सस्ता है। मेरे कहने का मतलब यह है कि इस पेशे में हम कम खर्चे एवम अपने मेहनत के दम पर अच्छी स्थिति तक पहुंच सकते है। इस क्षेत्र में नाम,पैसा,शोहरत तीनों ही कमाया जा सकता है। इसीलिए मैंने इस पेशे को चुना।
आप आगे कहां काम करना चाहते है?
मैं हमेशा से ही थिएटर को प्राथमिकता देता हूं,क्योंकि मुंबई में मेरा एक थियेटर स्कूल है। मैं महीने के पंद्रह दिन अपने थियेटर स्कूल को देता हूं तथा पंद्रह दिन इंडस्ट्री में स्ट्रगल करता हूं। मेरा लक्ष्य फिल्मों में काम करना है। मैं शॉर्ट फिल्म एवम वेबसीरीज में भी काम करना चाहता हूं। यदि मुझे कोई अच्छा धारावाहिक मिल जाए तो अच्छा है। मुझे एड फिल्म भी बेहद आकर्षक कार्य लगता है। एड फिल्म एक ही दिन का काम होता है और इसमें नाम,पैसा और अच्छी शोहरत प्राप्त हो जाती है।
आपको अब तक कैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा?
मैंने अपने अब तक के सफर में बहुत सारी समस्याएं देखी है। मैं आपको बता दूं कि मिडिल क्लास फैमिली के बच्चों का सबसे बड़ी समस्या यह है कि हमे यह नहीं पता होता है,की हमे करना क्या है? जब हम स्नातक कर लेते है तब हम सोचते है कि हमे यह करना है किन्तु बड़े एवम अमीर घराने के बच्चों के साथ ऐसा बिल्कुल नहीं होता है। उनका लक्ष्य साफ होता है। वह बचपन से ही अपने लक्ष्य के प्रति तैयारी करने लगते है। मेरे साथ इन सभी समस्याओं के अतिरिक्त मुझे आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ा। मैं जिस एक्टिंग स्कूल में पढ़ना चाहता था। वहां पढ़ नहीं पाया,पैसे की वजह से मैं बहुत अच्छे – अच्छे वर्कशॉप नहीं कर पाया। बाकी मुझे मुंबई में भी बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा। इस शहर में हमे बहुत अकेलापन देखने को मिलता है। जैसे हमारे साथी हमारा इस्तेमाल कर रहे होते है और हमे पता भी नहीं चलता है। मैं मुंबई के बारे में बताऊं तो बस इतना कह सकता हूं,की मुंबई किसी का नहीं है और सबका है। मुंबई में मैंने काम के लिए बहुत भागदौड़ किया,हमे पता नहीं होता था कि कहां ऑडिशन होता है,किस जगह कौन सा प्रोडक्शन है? धीरे – धीरे हमे इन सभी समस्याओं को देखते – देखते सबका ज्ञान हो गया। मैं इन समस्याओं के बारे में यही कहना चाहूंगा,जो काम हम 1 साल में कर सकते थे। उसे करने में 4 साल लग गए। यह सोचकर मुझे बहुत तकलीफ़ होती है।
COVID-19 का आपके कैरियर पर क्या असर पड़ा?
COVID – 19 का मेरे कैरियर पर इतना बुरा असर पड़ा की मुझे घर वापस आना पड़ा। मैं आपको बता दूं कि मेरा एकमात्र आय का स्रोत थियेटर था और COVID-19 महामारी के चलते लॉकडॉउन हुआ। जिसके कारण सब बंद हो गया। लॉकडॉउन से पहले हमारे दो प्रोडक्शन तैयार थे,किंतू उन्हें COVID-19 महामारी के वजह से बंद करना पड़ा। उन दो प्रोडक्शन में से एक अग्नि और बरखा नामक प्रोडक्शन,जो अब तक का हमारा सबसे बड़ा प्रोडक्शन होने वाला था और इसकी तैयारी में काफी पैसे भी खर्च हो गए,किन्तु यह इसी महामारी के वजह से नहीं हो पाया। फिर धीरे – धीरे ऐसा समय आया कि मैं मुंबई में ठहरने लायक भी नहीं रह गया। मैं अपने घर का रेंट नहीं दे सकता था। इसके बाद मेरे पास कोई रास्ता नहीं था और मैं घर वापस आ गया।
आपका रोल मॉडल कौन है?
मेरे रोल मॉडल फिल्मों में पंकज त्रिपाठी,नवाज़ुद्दीन,नसीरुद्दीन और इरफान है। मुझे इन लोगो का परफॉर्मेंस बहुत अच्छा लगता है। मैंने इन सबसे काफी कुछ सीखा है। वहीं रंगमंच मे मेरे गुरु रॉबिन दास जी है। यह ऐसे गुरु है जिनके पास मेरे हर समस्या का समाधान रहता है। इनसे मैं कभी निराश नहीं हुआ। रॉबिन दास जी मेरे लिए एनर्जी बूस्ट है। मुझे इनसे सदैव कुछ सीखने को ही मिला है।
आपके काम के पीछे आपके परिवार का कैसा सपोर्ट रहा?
मेरे परिवार ने मुझे सपोर्ट किया है,लेकिन कभी – कभी उनसे सुनने को मिला की,तुम कहां इन सब चीजों में पड़ रहे हो। तुम्हे कोई साधारण सी नौकरी कर लेनी चाहिए। लेकिन में यह भी कहना चाहता हूं कि जो भी मैं हूं,मेरी फैमिली की वजह से हू। उन्होंने मेरी हर प्रकार की सहायता की है। मुंबई में मेरे सबसे बड़े सहायक के रूप में सैयद फजल अहमद रहे है। इन्होंने मेरी बहुत सहायता की है। मुंबई में मेरा वर्कर्स थियेटर ग्रुप भी इन्हीं के वजह से है।