जया एकादशी व्रत

माघ महीने के शुक्ल पक्ष कि एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। जय एकादशी का व्रत इस वर्ष 23 फरवरी को रखा जाएगा। ऐसा माना जाता है कि जया एकादशी का व्रत धारण करने से मनुष्य पिशाच योनि से भयमुक्त रहता है। इस व्रत का माहात्म्य द्वापर युग में स्वयं भगवान श्री कृष्ण नें कुन्ती पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था।

जया एकादशी व्रत का माहात्म्य और कथा

ऐसी मान्यता है कि जया एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य को भूत – प्रेत, पिशाच आदि के योनि में जन्म लेने से मुक्ति मिल जाती है। इस एकादशी के विषय में एक कथा प्रचलित है। जिसमे कहा गया है कि एक गंधर्व देवराज इंद्र की सभा में गायन करते हुए अपनी पत्नी को याद कर रहा था जिसके कारण उसने अपने गायन का लय खो दिया। इस पर देवराज इंद्र ने क्रोधित होकर उसे और उसकी पत्नी को पिशाच योनि में जन्म लेने का श्राप से दिया। माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन दोनों गंधर्व पति – पत्नी जिन्होंने पिशाच योनि में जन्म लिया था उन्होंने किसी कारण भोजन नहीं किया और उन्होंने अनजाने में ही इस व्रत को धारण कर लिया जिसके बाद भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उन्हे पिशाच योनि से मुक्त कर दिया और दोनों दंपति पुनः स्वर्ग में चले गए। इस एकादशी के माहात्म्य के बारे में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने कुन्ती पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। जिसके बाद धर्मराज युधिष्ठिर ने इस व्रत को धारण किया था।

जया एकादशी की तिथि और पारण करने का समय

एकादशी तिथि 22 फरवरी को शाम 5 बजकर 16 मिनट से अगले दिन 23 फरवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। हिन्दू धर्म में व्रत सदैव उदया तिथि को रखा जाता है इसी कारण जया एकादशी का व्रत 23 फरवरी को रखा जाएगा। व्रत का पारण 24 फरवरी को सुबह 6 बजकर 51 मिनट से 9 बजकर 9 मिनट तक किया जायेगा।

जया एकादशी व्रत की विधि

  • जया एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर लेना चाहिए।
  • इस व्रत को निर्जल भी किया जाता है तथा केवल जल पीकर अथवा फलाहार करके भी रखा जा सकता है।
  • इस दिन पीला वस्त्र धारण करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • भगवान विष्णु को पीला पुष्प अतिप्रिय है,इसीलिए इस पीला पुष्प चढ़ाना अत्यंत फलदाई माना जाता है
  • जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु के स्त्रोत का पाठ करें।
  • इस दिन घी ने हल्दी डालकर दिया जलाना भी शुभ माना जाता है।
  • इस व्रत के दिन पूजा पाठ पूर्ण मन से करना चाहिए।
  • जया एकादशी के संध्या को तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाना चाहिए 
  • इस दिन गरीबों को दान देने से भी पुण्य मिलता है। इस दिन केले का दान करना बहुत फलदाई होता है इसलिए गरीबों को इस दिन केला अवश्य खिलाएं।
  • इस दिन माता लक्ष्मी को पूजा करने से भी भगवान विष्णु प्रसन्न होते है। इसलिए माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों की ही उपासना करना चाहिए।

जया एकादशी के दिन यह काम नहीं करना चाहिए

  • छल – कपट की भावना एकादशी के तिथि के दिन नहीं लानी चाहिए।
  • जया एकादशी के दिन क्रोध नहीं करना चाहिए।
  • इस दिन मन को शांत रखना चाहिए,हमे अपने अंदर ईर्ष्या या द्वेष जैसी भावना नहीं लानी चाहिए।
  • जया एकादशी के दिन काम वासना जैसी भावना भी अपने अंदर नहीं लाना चाहिए।
  • एकादशी के दिन चावल के सेवन नहीं करना चाहिए।

भारत प्रहरी

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