नफ़रत के उत्पादक हम
नफ़रत के उत्पादक हम

नफ़रत के उत्पादक हम,प्राचीन काल से मनुष्यों में मुख्यतः उच्च मध्यम एवं निम्न वर्ग रहे हैं, वर्तमान में भी हैं और संभवतः अनंत काल तक रहेंगे ।निश्चित तौर पर यह वर्ग पृथ्वी के हर भू-भाग अर्थात हर देश प्रदेश में हैं।

प्रस्तुत लेख के लेखक अजय दाहिया है,प्राप्त्याशा लोक एवं संस्कृति प्रवर्तन समिति के सदस्य है।

लेखक अजय दाहिया

यदि आप भारत में रहते हैं !और उच्च वर्ग अर्थात अमीरों के खिलाफ मन में गाली नहीं रखते हैं ! तो रखना प्रारंभ कर दीजिए इसी का फ़ैशन चल रहा है।लेकिन अगर अब भी आपके भीतर का ईश्वर जीवित है तो इस बात पर आपको अवश्य विचार करना चाहिए कि अमीर और गरीब दोनों ही समाज का हिस्सा हैं। मैं यह नहीं कहता कि हर अमीर सद्चरित्र एवं दूध का धुला हुआ है । किंतु हर गरीब भी स्वच्छ,धवल व ईमानदार नहीं है।
खैर इन बातों, उपलब्ध संसाधनों अधिकारों एवं कर्तव्यों का सदुपयोग अथवा दुरुपयोग करने का गुण अथवा दुर्गुण किसी भी मनुष्य में हो सकता है, इसका अमीर या गरीब से कोई संबंध नहीं है।
आज जो अमीर हैं वह भी कभी गरीब रहे होंगे। और आज जो गरीब हैं वह भी आने वाले कल में अमीर होने की चाहत रखते हैं । इसी वज़ह से उनके सपने एवं विचार इतने ऊंचे हैं, कि वह अपने बच्चों का नाम भी राजा रानी राजकुमार प्रिंस इत्यादि रखते हैं।
कोरोनावायरस के संक्रमण काल में बहुत से ऐसे अमीर हैं जिन्होंने बढ़-चढ़कर देश को इस संकट से बचाने के लिए आर्थिक सहयोग दिया है। वहीं जिन गरीबों में भी सेवा भावना रही है उन्होंने समाज सेवा करके इसमें सहयोग किया है।
एक गरीब व्यक्ति मज़दूरी,कारखाने,ऑफिस,व्यापार,मार्केटिंग इत्यादि में काम पाने के लिए उन अमीरों पर आश्रित होता है जिनके द्वारा इनका क्रियान्वयन किया जाता है।
वहीं दूसरी ओर अमीरों को भी तलाश होती है ऐसे लोगों की जो उनके यहां काम कर सकें। यहां यह बात स्पष्ट होती है कि अमीर एवं गरीब दोनों के घर का “चूल्हा_जलना” एक दूसरे के सहयोग के बिना असंभव है।गरीब जो अमीरों के यहां काम करता है वह बचत कर-करके जब खुद का व्यवसाय प्रारंभ करता है, तब वह भी गरीबों को नौकरी पर रखता है।
देश का अमीर व्यक्ति विदेश भी जाता है वह विदेशी कंपनियों से संपर्क स्थापित करता है अपना व्यापार फ़ैलाता है। देश में रोजगार पैदा करता है, गरीब वर्ग व्यापार को विकसित एवं संवर्धित करने में अपना श्रम रूपी अमूल्य योगदान देता है दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं।
अमीरों में कुछ शोषक प्रवृत्ति के होते हैं, गरीबों में भी कुछ कामचोर होते हैं जो 2 दिन काम करके हफ्ते भर काम नहीं करना चाहते।वही अमीरों में कुछ ऐसे भी हैं जो अपने कर्मचारियों का हमेशा ध्यान रखते हैं, बोनस,स्वास्थ्य,सुरक्षा एवं बीमा जैसी सुविधाएं भी देते हैं तो कुछ कर्मचारी भी हैं जो पूरी मेहनत ईमानदारी लगन एवं निष्ठा से काम करके अपना परिवार पालते हैं पैसों की बचत करते हैं । जो पैसे नहीं बचाते वो कष्ट भोगते हैं।
शोषक शोषण व अत्याचार का विरोध आवश्यक है।लेकिन ऐसी चंद घटनाओं के बीज को विशाल वृक्ष के रूप में परिवर्तित करके अमीर एवं गरीब के बीच मतभेद पैदा करने वाले लोग नफरत के उत्पादक हैं।नफरत के यह उत्पादक ऐसे खरपतवार हैं जो समूची फसल को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं ।इनसे बचने का एक ही उपाय है इनकी नकल समर्थन या विरोध करना बंद कर दीजिए।
 अपने विवेक का सहारा लीजिए। अफ़वाहों से बचिए संकट की इस घड़ी में एक दूसरे का सहयोग कीजिए।आपके आस-पास यदि कोई भूखा है और आप सक्षम हैं तो सरकारी सहायता की प्रतीक्षा किए बिना उसे भोजन कराना आपका दायित्व एवं कर्तव्य है, अन्यथा देरी भी हो सकती है।
 यदि आप और हम ऐसा नहीं करते हैं तो हम भी कहलाएंगे नफ़रत के उत्पादक
   

भारत प्रहरी

भारत प्रहरी एक पत्रिका है,जिसपर समाचार,खेल,मनोरंजन,शिक्षा एवम रोजगार,अध्यात्म,...

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