अजय दाहिया

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नफ़रत के उत्पादक हम

नफ़रत के उत्पादक हम,प्राचीन काल से मनुष्यों में मुख्यतः उच्च मध्यम एवं निम्न वर्ग रहे हैं, वर्तमान में भी हैं और संभवतः अनंत काल तक रहेंगे ।निश्चित तौर पर यह […]

“कंपन बिना भी क्या जीना” – अजय दाहिया(Ajay Dahiya)

आपके समक्ष प्रस्तुत है लेख “कंपन बिना भी क्या जीना”, प्रश्न पूछा जाए कि सृष्टि एवं समस्त प्राणियों के लिए अत्यंत आवश्यक तत्त्व क्या है? तरह-तरह के जवाब आपको मिलेंगे। […]

अहं! रंगमंचास्मि।

अहं! रंगमंचास्मि,मैं रंगमंच हूं वही रंगमंच जिसे कोई रंग+मंच = रंगमंच कहकर परिभाषित करता है तो कोई कुछ और परिभाषा देता है। लेकिन क्या मेरी परिभाषा को सीमाबद्ध किया जा […]