यूपी पंचायत चुनाव
  • यूपी पंचायत चुनाव के आरक्षण सूची से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है याचिका
  • सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका को 26 मार्च तक अस्थाई रूप से सूचीबद्ध किया गया है।
  • इस याचिका पर अभी तक नहीं आया कोई फैसला,उड़ती रही अफवाहें

यूपी पंचायत चुनाव: सुप्रीम कोर्ट ने दाखिल याचिका से संबंधित उड़ रही है अफवाहें,वायरल हो रहे हैं फेक फोटोयूपी पंचायत चुनाव के आरक्षण प्रणाली का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है,जिसकी जानकारी सूबे में रहने वाले लोगों से लेकर,जन प्रतिनिधियों तक को है। इसी कारण सभी लोग सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट के इंतजार में बैठे है। सभी उसके बारे में जानकारी पाना चाहते है,लेकिन इसी बात का फायदा उठाकर कुछ लोग,फर्जी खबर बनाकर फोटो सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर करके लोगो को बेवकूफ बना रहे है। अब इस याचिका का निर्णय तो अभी कुछ नहीं आया,लेकिन अफवाहें बहुत आईं। कई फोटो वायरल हुए,जिसमें कुछ में देखने को मिला की याचिका खारिज हुई,तो कुछ में लिखा मिला की याचिका स्वीकार की गई,हाई कोर्ट का जजमेंट स्वीकार नहीं किया गया,अर्थात उसे खारिज कर दिया गया।

यूपी पंचायत चुनाव में देखने को मिले है,कई अजब – गजब प्रसंग यूपी पंचायत चुनाव 2021 में कई अजब – गजब मामले सामने आ रहे है, यह पंचायत चुनाव दिसंबर 2020 के पहले ही हो जाना चाहिए था,लेकिन कोरोना वायरस महामारी के चलते,यह चुनाव समय पर नहीं हो सके। चुनाव से संबंधित सभी कार्य चालू हुए,जिसमें सबसे पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण किया गया। जिसमें सबसे पहले अनंतिम सूची प्रकाशित हुई। जिसमें कई सारे दावेदारों का नाम कटे मिलें,फिर जब अंतिम सूची के लिए दावे और आपत्तियां लिए जाने लगे,तो कई जगहों से नाटकीय रूप देखने को मिले।

पंचायत चुनाव

जिसमें ग्राम प्रधान और बी एल ओ की मिलीभगत के कारण जो वोटर निवर्तमान प्रधान के खिलाफ थे,उनका नाम मतदाता सूची से कटाने को कोशिश भी को गई। जैसे जो व्यक्ति अभी जीवित है और उसका नाम ग्राम पंचायत के किसी भी वार्ड में मतदाता सूची में वर्णित है,उन्हे मृतक सिद्ध किया गया, जो लड़कियां अविवाहित थी, उन्हे विवाहिता सिद्ध करके नाम विलोपित करवाने की कोशिश की गई। यही नहीं जिन मतदाताओं का नाम मतदाता सूची में केवल एक बार ही वर्णित था,उन्हे दो बार नाम अंकित होने के कारण मतदाता सूची से नाम विलोपित किया जाए,उसकी भी कोशिश की गई,किंतू कई जगहों पर जागरूक जनता के कारण अधिकारी एक्शन में आएं और इन खामियों को दूर करने का प्रयास किया गया।

उसके बाद मतदाता सूची 22 जनवरी को प्रकाशित होने वाली थी,किंतू वह तकनीकी खामियों के कारण नहीं हो पाई। इन सब प्रसंगों के समाप्ति के बाद पूरे सूबे में सबकी निगाहें आरक्षण सूची की तरफ गई,जिसमें 02 मार्च को उत्तर प्रदेश शासन द्वारा प्रस्तावित आरक्षण सूची प्रकाशित की गई,किंतू उसके बाद लखीमपुर खीरी जिले के अजय कुमार नामक व्यक्ति द्वारा हाईकोर्ट उत्तर प्रदेश में पीआईएल दाखिल किया गया। जिसमें साफतौर पर कहा गया कि आरक्षण सूची बनाने में 2015 को मूल वर्ष बनाया जाना चाहिए। इनकी याचिका के पश्चात कोर्ट का फैसला भी इनके पक्ष में आया,और सरकार ने मान भी लिया। फिर 2015 को आधार वर्ष मानकर नई आरक्षण सूची तैयार भी कर ली गई,लेकिन इसी बीच सीतापुर जिले के निवासी दिलीप कुमार नामक व्यक्ति द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया गया है,जिसमें कहा गया कि,वर्ष 2015 को आधार मानना उचित नहीं है। अब इस याचिका का निर्णय तो अभी कुछ नहीं आया,लेकिन अफवाहें बहुत आईं। कई फोटो वायरल हुए,जिसमें कुछ में देखने को मिला की याचिका खारिज हुई,तो कुछ में लिखा मिला की याचिका स्वीकार की गई,हाई कोर्ट का जजमेंट खारिज किया गया,लेकिन अभी तक सुप्रीम कोर्ट से कोई फैसला नहीं आया है,इसलिए अफवाहों पर विश्वास ना करके,उचित एवम सही खबरों को ही माने

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